Saraswati Vandana Lyrics in Hindi PDF – सरस्वती वंदना मंत्र

Saraswati Vandana – हिंदू धर्म में विभिन्न देवी देवताओं की आराधना की जाती है तथा मंत्रों के जरिए उनका ध्यान किया जाता है। 

हिंदू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, विद्या, बुद्धि कला और संगीत की देवी माना जाता है। इनकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से मानी गई है। माता सरस्वती ब्रह्मा की पत्नी ज्ञान एवं कला की देवी के रूप में प्रसिद्ध है।

इसलिए संगीत साधना कला प्रेमी तथा विज्ञान ज्ञान से जुड़े भारतीय लोग देवी मां सरस्वती की आराधना करते हैं। उनका ध्यान करने के लिए प्रायः सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ किया जाता है। विद्यार्थी जीवन में भी सरस्वती वंदना का विशेष महत्व होता है। 

क्योंकि देवी सरस्वती ज्ञान विद्या और बुद्धि की देवी भी मानी जाती हैं। अतएव देवी सरस्वती का ध्यान करने से विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

भारत में संगीतकार कलाकार तथा वैज्ञानिक भी ज्ञान और कल की उपज के लिए देवी सरस्वती की वंदना करते हैं। प्रायः कलाकार अपनी प्रतिभा की प्रस्तुति करने से पूर्व भी देवी सरस्वती का ध्यान करते हैं।

माता सरस्वती की स्तुति चारण करने के लिए हिंदू धर्म में विभिन्न मंत्र बताए गए हैं। लेकिन Saraswati Vandana Mantra – सरस्वती वंदना मंत्र इन सभी मंत्रों में सबसे प्रमुख हैं।

आइए आज आपको हम सरस्वती वंदना मंत्र का अर्थ लाभ तथा जाप करने की विधि बताते हैं।

Saraswati Vandana Lyrics – सरस्वती वंदना मंत्र

Saraswati Vandana Mantra Lyrics – सरस्वती वंदना मंत्र को ध्यान मंत्र तथा सरस्वती प्रार्थना मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस मंत्र का जाप सरस्वती आराधना के लिए किया जाता है।

Meaning of Saraswati Vandana in Hindi – सरस्वती वंदना मंत्र का अर्थ

इस सरस्वती वंदना मंत्र श्लोक में देवी सरस्वती की आराधना करते हुए कहा गया है कि,

ऐसी देवी भगवती जो कुंद के पुष्प, चन्द्रमा, हिम राशि तथा मोती की माला की भांति श्वेत वर्ण की है तथा जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। जिनकी हाथों में वीणा शोभायमान है, जो श्वेत कमल का आसन ग्रहण करती हैं तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शिव द्वारा जिनकी पूजा की जाती है। संपूर्ण जड़ता एवं अज्ञान का नाश करने वाली वही भगवती सरस्वती मेरी रक्षा करें।

इस सरस्वती वंदना मंत्र के माध्यम से देवी माता सरस्वती के वर्ण एवं स्वरूप की स्तुति की है।  तथा उनसे जड़ता और अज्ञान का नाश कर ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने की कामना की गई है।

Benefits of Saraswati Vandana Mantra – सरस्वती वंदना मंत्र का लाभ

सरस्वती वंदना मंत्र का जाप करने से उपासक को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

रोजाना नियमित रूप से देवी सरस्वती की वंदना करने से मन की चंचलता और अस्थिरता दूर की जा सकती है। इस सरस्वती वंदना मंत्र का जाप करने से एकाग्रता बढ़ती है।

रोजाना शौच एवं स्नान से निवृत्त होकर सरस्वती वंदना का पाठ करने से विद्यार्थी की स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है।

सरस्वती वंदना मंत्र के जरिए माता सरस्वती का ध्यान करने से संगीत साधक की कला में वृद्धि होती है तथा कला में निखार आता है।

विद्यार्थी जीवन में नियमित देवी मां सरस्वती की वंदना करने से बुद्धि एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है।

सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने से शरीर एवं मन की नकारात्मकता दूर होती है तथा शांति सकारात्मक और सौम्यता का संचार होता है।

नियमित रूप से मां सरस्वती वंदना मंत्र का जाप करने से व्यवहार में सौम्यता आती है तथा व्यक्ति के बातचीत का तरीका भी बेहतर हो जाता है।

सरस्वती वंदना – Saraswati Vandana मंत्र का पाठ करने से विद्यार्थी जीवन में इच्छा शक्ति में वृद्धि होती है तथा दृढ़ संकल्पना का विकास होता है।

जो कलाकार तथा संगीतकार रोजाना सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करते हैं उनकी मौलिक क्षमता का विकास होता है। 

रोजाना प्रात काल सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने से कलाकारों की प्रतिभा में निखार आता है तथा उनकी कुशलता बढ़ती जाती है। 

सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने से कवि की कविता, चित्रकार की चित्रकारिता संगीतकार की ध्वनि एवं संगीत में सुधार होता है तथा कुशलता आती है। 

जिन लोगों को बोलचाल में कठिनाई होती है वह भी सरस्वती मंत्र का पाठ करें। नियमित ऐसा करने से उनकी भाषा ध्वनि में सुधार होता है।

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Chanting Method of Saraswati Vandana Lyrics – सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने की विधि

सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने के लिए भी विभिन्न प्रकार के नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करने से सरस्वती वंदना मंत्र पाठ का पूर्ण लाभ मिलता है।

सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करने से पूर्व ही शौच एवं स्नान जैसी दिनचर्या से निवृत हो जाना चाहिए। स्नान के बाद ही वंदना मंत्र का पाठ करना चाहिए।

देवी मां सरस्वती की वंदना में उनके स्वरूप की स्तुति की गई है जिससे साफ स्पष्ट है कि श्वेतरंग उनका पसंदीदा रंग है इसलिए साधक को श्वेत अथवा पीत (पीला) वस्त्र धारण करना चाहिए।

श्वेत वस्त्र धारण करके देवी सरस्वती की वंदना करने से सरस्वती वंदना मंत्र पाठ का पूरा फल मिलता है।

सरस्वती वंदना – Saraswati Vandana का पाठ करने के लिए उपासक को अपना मुख्य उत्तर या पूर्व की दिशा में करना चाहिए। या फिर देवी सरस्वती की प्रतिमा अथवा मंदिर के सम्मुख बैठकर सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करना चाहिए।

वैसे तो इस सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ कोई भी कर सकता है। लेकिन विद्यार्थी जीवन में छात्रों तथा संगीतकारों लेखकों एवं कलाकारों को इस सरस्वती वंदना का पाठ जरूर करना चाहिए।

संगीतकरों कलाकारों लेखकों तथा कवियों को अपनी कला की प्रस्तुति के पूर्व भी देवी सरस्वती की वंदना करनी चाहिए तथा सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से उनकी कला मंच पर और निखर जाएगी।

देवी सरस्वती की आराधना के लिए श्वेत पुष्पों का अर्पण करना चाहिए तत्पश्चात देवी सरस्वती की वंदना करनी चाहिए।

Saraswati Vandana का पाठ करते समय सावधानी पूर्वक उच्चारण करना चाहिए ताकि कोई भी त्रुटि ना आए। सरस्वती वंदना मंत्र का गलत उच्चारण करने से उसका फल प्राप्त नहीं होता।

इस प्रकार ऊपर बताई गई सभी बातों को ध्यान में रख कर आप नियमित सरस्वती वंदना मंत्र का पाठ कर सकते हैं तथा इससे मिलने वाले लाभ का आनंद उठा सकते हैं। अगर आप विद्यार्थी जीवन में है तो सरस्वती वंदना का पाठ रोजाना जरुर करें।

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