Shiv Chalisa Pdf In Hindi Lyrics Download – शिव चालीसा 2024

Shiv Chalisa Pdf In Hindi – शिव चालीसा पाठ करने और इस मंत्र का लाभ जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।  इस कलियुग में सभी मनुष्य अपने जीवन में सुख और शांति की खोज कर रहे है।  इस तलाश को संभव करने के लिए इस मंत्र को लिखकर प्रस्तुत कर रहा हु। 

इस संसार में सभी मनुष्य किसी ना किसी पीड़ा और परेशानियों से गुजर रहा हे। इसलिए आध्यात्मिक जीवन में हमारे भगवानों का महत्व अत्यधिक है। हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। उसमे हम महादेव यानी भगवान शिव जी की भी आराधना या पूजा करते है, जो की हमारे जीवन में बहुत महत्तपुर्ण होता है। उनकी महिमा का गुणगान करने का एक अद्वितीय तरीका है शिव चालीसा, जो हमारे जीवन में शांति और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम होता है।

भगवान शिव जी की पूजा शिव चालीसा के बिना अधूरा है। इस लिए शिव जी की पूजा के समय शिव चालीसा जरूर पाठ करे। शिव चालीसा के इन पंक्तियों से भगवान महादेव को प्रसन्न किया जाता है। शिव चालीसा का पाठ करने से कठिन कार्य भी बहुत आसान हो जाते हैं।

शिव चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है। हालाँकि, सोमवार के दिन शिव चालीसा का पाठ करना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि शास्त्रों अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है।

नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करने और भोलेनाथ की पूजा करने से भक्त की सभी चिंताएं और कष्ट दूर हो जाते है। भक्त के ऊपर भगवान शिव की असीम कृपा बना रहता है।

इस लिखित में, हम जानेंगे कि शिव चालीसा क्या है, इसका महत्व क्या है, और हम इसका पाठ करके अपने जीवन में  आध्यात्मिक रूप से क्या लाभ कर सकते हैं। आप चाहे तो इस Shiv Chalisa Pdf Download करके रख सकते हो ।

Shiv Chalisa Lyrics In Hindi – शिव चालीसा लिरिक्स हिंदी मै

शिव चालीसा

|| दोहा ||
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान |
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ||

|| चौपाई ||
जय गिरिजा पति दीन दयाला |
सदा करत सन्तन प्रतिपाला || १ ||

भाल चन्द्रमा सोहत नीके |
कानन कुण्डल नागफनी के ||

अंग गौर शिर गंग बहाये |
मुण्डमाल तन क्षार लगाए || ३ ||

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे |
छवि को देखि नाग मन मोहे ||

मैना मातु की हवे दुलारी |
बाम अंग सोहत छवि न्यारी || ५ ||

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी |
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ||

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे |
सागर मध्य कमल हैं जैसे || ७ ||

कार्तिक श्याम और गणराऊ |
या छवि को कहि जात न काऊ ||

देवन जबहीं जाय पुकारा |
तब ही दुख प्रभु आप निवारा || ९ ||

किया उपद्रव तारक भारी |
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ||

तुरत षडानन आप पठायउ |
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ || ११ ||

आप जलंधर असुर संहारा |
सुयश तुम्हार विदित संसारा ||

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई |
सबहिं कृपा कर लीन बचाई || १३ ||

किया तपहिं भागीरथ भारी |
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ||

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं |
सेवक स्तुति करत सदाहीं || १५ ||

वेद नाम महिमा तव गाई|
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ||

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला |
जरत सुरासुर भए विहाला || १७ ||

कीन्ही दया तहं करी सहाई |
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ||

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा |
जीत के लंक विभीषण दीन्हा || १९ ||

सहस कमल में हो रहे धारी |
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ||

एक कमल प्रभु राखेउ जोई |
कमल नयन पूजन चहं सोई || २१ ||

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर |
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ||

जय जय जय अनन्त अविनाशी |
करत कृपा सब के घटवासी || २३ ||

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै |
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ||

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो |
येहि अवसर मोहि आन उबारो || २५ ||

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो |
संकट से मोहि आन उबारो ||

मात-पिता भ्राता सब होई |
संकट में पूछत नहिं कोई || २७ ||

स्वामी एक है आस तुम्हारी |
आय हरहु मम संकट भारी ||

धन निर्धन को देत सदा हीं |
जो कोई जांचे सो फल पाहीं || २९ ||

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी |
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ||

शंकर हो संकट के नाशन |
मंगल कारण विघ्न विनाशन || ३१ ||

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं |
शारद नारद शीश नवावैं ||

नमो नमो जय नमः शिवाय |
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय || ३३ ||

जो यह पाठ करे मन लाई |
ता पर होत है शम्भु सहाई ||

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी |
पाठ करे सो पावन हारी || ३५ ||

पुत्र हीन कर इच्छा जोई |
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ||

पण्डित त्रयोदशी को लावे |
ध्यान पूर्वक होम करावे || ३७ ||

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा |
ताके तन नहीं रहै कलेशा ||

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे |
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे || ३९ ||

जन्म जन्म के पाप नसावे |
अन्त धाम शिवपुर में पावे ||

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी |
जानि सकल दुःख हरहु हमारी || ४१ ||

|| दोहा ||
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा |
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ||

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान |
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ||

|| समाप्त ||

Shiv Chalisa Benefits of Chanting – शिव चालीसा पढ़ने के फायदे

○ शिव चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने पर शिव जी प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार के ऊपर उनके सदा आशीर्वाद बनी रहती है।  

○ रोजाना भक्ति के साथ शिव चालीसा पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट से मुक्ति मिलता है और आपके मनोकामनाएं पूर्ण होते है।  

○ धन प्राप्ति के लिए लगातार 40 दिनों तक Shiv Chalisa का जाप करना लाभकारी माना जाता है। अगर आप भी अपार धन चाहते हैं तो प्रतिदिन एक निश्चित समय पर पढ़ें या सुने।

○ अगर आपके मन में कोई डर है तो लगातार 40 दिन तक शिव चालीसा का पाठ करने से वह डर दूर हो जाएगा।

○ भगवान शिव को प्रसन्न करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है। आप अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्रावण मास में शिव चालीसा का जाप भी कर सकते हैं।

○ यदि शत्रु आपका पीछा नहीं छोड़ता या आपको परेशान करता है तो शत्रु का नाश करने के लिए भगवान शिव की पूजा करें और शिव चालीसा का जाप करें, आपको इस समस्या से राहत मिलेगी।

○ यदि आपको किसी कार्य को पूरा करने में परेशानी हो रही है, तो श्रावण के महीने में शिव चालीसा का पाठ करने का प्रयास करें, इससे आपको सफलता मिलेगी।

○ यदि आपके मन में बहुत सारे बुरे विचार हैं और आप उन्हें दूर करना चाहते हैं, तो भगवान शिव से प्रार्थना करने से वास्तव में मदद मिल सकती है। श्रावण के विशेष महीने में यदि आप भगवान शिव के बारे में सोचते हैं और शिव चालीसा पढ़ते हैं या सुनते हैं, तो आपको बेहतर महसूस होगा और नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा मिलेगा।

ओर भी चालीसा पढ़ने के लिए लिंक पे क्लिक करे – Shani Chalisa Lyrics In Hindi PDF Download – शनि चालीसा

Shiv Chalisa in English Lyrics – शिव चालीसा अंग्रेजी में

Shiv Chalisa

Doha

Jai Ganesh Girija Suvan
Mangal Mul Sujan |
Kahat Ayodhya Das
Tum Dey Abhaya Varadan ||

Chaupai


Jai Girija Pati Dinadayala |
Sada Karat Santan Pratipala || 1 ||

Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke

Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye || 3 ||

Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain

Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari || 5 ||

Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari

Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise || 7 ||

Kartik Shyam Aur Gana rauo
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kauo

Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara || 9 ||

Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari

Turata Shadanana Apa Pathayau
Luv nimesh Mahi Mari Girayau || 11 ||

Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara

Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bachai || 13 ||

Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purahi Pratigya Tasu Purari

Darpa chod Ganga thabb Aayee
Sevak Astuti Karat Sadahin || 15 ||

Veda Nam Mahima Tav Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai

Pragati Udadhi Mantan te Jvala
Jarae Sura-Sur Bhaye bihala || 17 ||

Mahadev thab Kari Sahayee,
Nilakantha Tab Nam Kahai

Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinha || 19 ||

Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari

Ek Kamal Prabhu Rakheu goyee
Kushal-Nain Pujan Chahain Soi || 21 ||

Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var

Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi || 23 ||

Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Man Chain Na Avai

Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro || 25 ||

Lai Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro

Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi || 27 ||

Swami Ek Hai Asha Tumhari
Ai Harahu Ab Sankat Bhari

Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin
Arat jan ko peer mitaee || 29 ||

Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Shambhunath ab tek tumhari

Dhana Nirdhana Ko Deta Sadaa Hii
Jo Koi Jaanche So Phala Paahiin || 31 ||

Astuti Kehi Vidhi Karon Tumhaarii
Kshamahu Naatha Aba Chuuka Hamaarii

Shankar Ho Sankat Ke Nashan
Vighna Vinashan Mangal Karan || 33 ||

Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain

Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya || 35 ||

Jo Yah Patha Karai Man Lai
To kon Hota Hai Shambhu Sahai

Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari || 37 ||

Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi

Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai || 39 ||

Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha

Dhuupa Diipa Naivedya Chadhaave
Shankara Sammukha Paatha Sunaave || 41 ||

Janma Janma Ke Paapa Nasaave
Anta Dhaama Shivapura Men Paave

Doha

Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis |
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadisha ||

Chanting Method of Shiv Chalisa Mantra – शिव चालीसा कैसे पढ़ना चाहिए

⦿ सबसे पहले प्रांत कल उठ कर स्नान करे और साफ कपड़े पेहेन ले।  

⦿ पूर्व दिशा के तरफ मुँह करके कुशा के आसन पर बैठ जाये।  

⦿ पूजा सामग्री स्वरूप  चंदन, चावल, धूप, दीप पीले फूलों की माला और प्रसाद के मिश्री रखे।   

⦿ पाठ शुरू करने से पहले घी का दिया जलाएं , अगरबत्ती और दिया भी जलाएं।  

⦿ शिव चालीसा पाठ करते समय ऐसे पड़े ताकि बाकि लोगों को सुनाई दे, इससे उनको भी आर्शीबाद की प्राप्ति होगी.

Shiv Chalisa PDF Lyrics in Hindi and English Download

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